Thursday, November 24, 2011

सुर..


मेरे दिल के तारों पर,
सुर तुमने सजाएं हैं,
धरक उठे धड़कन मेरी
ऐसा गीत तुमने सजायं हैं
 
पल पल नाचती हैं, सुरों की साज़ पर
ऐसा पल तुमने सजाएं हैं
छलक उठे पैमाने ऐसे
जैसे पानी पर उफान आया हैं
 
हवायों की ताल पर जैसे
नाचती हैं लहरें मदमस्त
वैसे ही थिरक उठे, जस्बात अपने
ऐसा सुर तुमने सजाएं हैं
 
इस मिलन की बेला को
मत रोको उन पैरों को
थिरक जाने दो, उन साजों पे
उन गीतों पर, जो तुमने सजाएं हैं.....

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